Nizamabad महर्षि दत्तात्रेय स्कूल में फ़ायर से मनाई गई महर्षि दत्तात्रेय भगवान की जयंती
प्रेमप्रकाश भाई की रिपोर्ट
निज़ामाबाद।गौसपुर स्थित महर्षि दशत्रेय स्कूल में महर्षि दशत्रेय भगवान की जयंती को भव्य और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर विद्यालय में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं, शेयर बाजार और इमारतों ने बड़े पैमाने पर उत्साहवर्धन के साथ भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रज्वलन और भगवान सुपरस्टारेय की मूर्ति पर पुष्प निकर द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि प्रबंधक अरुण कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और अपने अध्ययन में महर्षि डॉ. के जीवन और शिक्षाओं को प्रकाश में डाला। उन्होंने कहा कि सात्त्विक भगवान त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अवतार माने जाते हैं और उनके जीवन के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने भक्ति गीत और नृत्य प्रस्तुत किए, जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करते थे। विशेष रूप से, कक्षा 6 से 8 के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत नाटक "दत्तात्रेय भगवान की शिक्षाएँ" को सभी ने स्थान दिया। इस नाटक में उनके जीवन से जुड़े प्रमुख प्रसंगों को सूचीबद्ध किया गया है, जैसे कि उनके 24 गुरुओं से सीखी गई ज्ञान की बातें।
कार्यक्रम में विद्यालय के वैद्य आशिष उपाध्याय ने बताया कि महर्षि नक्षत्रेय भगवान की शिक्षाएँ हमें सादगी, सहनशीलता और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में अपने आदर्शों को अपनायें।
24 गुरुओं की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा। उन्होंने बताया कि कैसे प्रकृति और जीवन के हर मानक से शिक्षा ली जा सकती है। यह व्याख्यान विद्यार्थियों एवं उपस्थित लोगों के लिए ज्ञान प्राप्ति सिद्ध हुआ।
कार्यक्रम की सफलता में छात्र, प्लांट और गोदाम की सामूहिक भागीदारी जारी रही। स्कूल प्रबंधन समिति ने इस आयोजन के लिए विशेष प्रयास किया। क्रूज़ ने भी इवेंट के संचालक की और बच्चों के लिए एक प्रेरणादायक अनुभव के बारे में बताया।
विद्यालय के प्रबंधक अरुण कुमार मिश्रा "लालू" ने कहा, "महर्षि दार्शनिक भगवान की जयंती केवल हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक शिक्षा को संरक्षित करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह बच्चों को नैतिक शिक्षा देने का भी एक माध्यम है।" महर्षि महर्षि भगवान जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक था, बल्कि यह शिक्षा और संस्कृति का समागम भी साबित हुआ। विद्यार्थियों ने न केवल भगवान चारे के जीवन से प्रेरणा ली, बल्कि उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प भी लिया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के कोषाध्यक्ष मिश्रा और अन्य शिक्षक अध्यापिकाएँ उपस्थित रहीं।